Tuesday, November 27, 2012

Barbarta Ki Dhaal Thackeray - A Hindi Poem by Nagarjun





“बर्बरता की ढाल ठाकरे”

बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
कैसे फासिस्‍टी प्रभुओं की –
गला रहा है दाल ठाकरे!
अबे संभल जा, वो आ पहुंचा बाल ठाकरे!
सबने हां की, कौन ना करे!
छिप जा, मत तू उधर ताक रे!
शिव-सेना की वर्दी डाटे जमा रहा लय-ताल ठाकरे!
सभी डर गये, बजा रहा है गाल ठाकरे!
गूंज रही सह्याद्रि घाटियां, मचा रहा भूचाल ठाकरे!
मन ही मन कहते राजा जी; जिये भला सौ साल ठाकरे!
चुप है कवि, डरता है शायद, खींच नहीं ले खाल ठाकरे!
कौन नहीं फंसता है, देखें, बिछा चुका है जाल ठाकरे!
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
बर्बरता की ढाल ठाकरे!
प्रजातंत्र का काल ठाकरे!
धन-पिशाच का इंगित पाकर ऊंचा करता भाल ठाकरे!
चला पूछने मुसोलिनी से अपने दिल का हाल ठाकरे!
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!

- नागार्जुन

1 comment:

Anonymous said...

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